December 22, 2024

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एक ऐसी दरगाह जहां बिच्छू हाथ पर रखने पर भी डंक नहीं मारता जानिए कहां है यह दरगाह….

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कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले रखा है और कोरोना से बचाव को लेकर आम से लेकर खास तक सभी एहतियात बरत रहे हैं तो वही धार्मिक स्थलों पर भी कोरोना संक्रमण से बचाव के पुरे इंतजामात कर एहतियात बरती जा रही है।

हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के अमरोहा में स्थित सैयद शरफुद्दीन शाह विलायत की दरगाह की, जहां बिच्छू जायरीन को डंक नहीं मारते हैं। कहा जाता है कि यहां आने वाले जायरीन ‘सूफी की इजाजत’ से बिच्छू को निश्चित वक्त के लिए अपने घर ले जा सकते हैं, लेकिन समयसीमा खत्म होने से पहले उन्हें दरगाह को लौटाना होता है। दरगाह के खादिम फुरकान आलम सिद्दकी बताते हैं कि शाह वियालत 1272 में इराक से यहां आये थे। गांव में शाह नसरूद्दीन नाम के एक अन्य सूफी भी थे।

शाह नसरूद्दीन ने शाह विलायत से कहा कि इलाके में बहुत सारे बिच्छू और सांप हैं, जो उन्हें यहां रहने नहीं देंगे। इस पर शाह विलायत ने जवाब दिया कि मेरे स्थान पर वे किसी को नहीं डंक नहीं मारेंगे। तभी से वे किसी को डंक नहीं मारते हैं। यह एक चमत्कार है आप बाहर से भी जहरीला बिच्छू ले आइए, लेकिन यहां आते ही वह किसी को डंक नहीं मारेगा। फुरकान ने दावा किया कि आप दुनिया के किसी भी हिस्से से कितना भी जहरीला बिच्छू यहां ले आइए, वो दरगाह परिसर में आते ही किसी को नहीं काटेगा। इसके अलावा आप बिच्छू को अपने हाथ पर भी ले सकते हैं और ‘सूफी की इजाजत’ से उन्हें घर भी ले जा सकते हैं। आपको यह बताना होगा कि आप बिच्छू को कब वापस लायेंगे। उस समयसीमा तक, बिच्छू आपको नहीं काटेगा, लेकिन समयसीमा निकल जाती है, यहां तक कि एक मिनट भी ऊपर होता जाता है, तो यह खतरनाक जीव डंक मारेगा।

दरगाह के खादिम फुरकान बताते हैं कि यहां बहोइट,प्रेत और आसेब का भी इलाज होता है। कोरोना प्रकोप के चलते दरगाह के आसपास भीड़भाड़ वाले स्थान को फिलहाल बंद कर रखा है। वही दरगाह के अंदर यहां आने वाले जायरीनो को सलाम करवा कर तुरंत ही बाहर भेज दिया जाता है साथ ही कोविड-19 की गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है। उनके मुताबिक कोरोना से पहले हजारों की संख्या में जायरीन बाबा की दरगाह पर आते थे वहीं अब कोरोना के चलते यह संख्या घटकर अब न के बराबर रह गई है।