खबर प्रवाह (27 नवम्बर, 2022)
काशीपुर में आज अंबेडकर पार्क जन कल्याण सेवा समिति के द्वारा उप जिलाधिकारी के माध्यम से देश की राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें उत्तराखंड सरकार के द्वारा बीते दिनों अपनी कैबिनेट बैठक में धर्मांतरण रोकने के लिए प्रस्ताव पास कर कानून बनाने का विरोध किया गया।
आपको बताते चलें कि काशीपुर में बीते 6 नवंबर को अंबेडकर पार्क जन कल्याण सेवा समिति के द्वारा काशीपुर के रामनगर रोड स्थित ग्राम भोगपुर, प्रतापपुर स्थित डॉ. अंबेडकर पार्क में 300 लोगों के द्वारा हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म के दीक्षा लेकर बौद्ध धर्म अपनाया था। काशीपुर में आयोजित कार्यक्रम में धम्म देशना और धम्म दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में 300 से अधिक हिन्दुओं ने गौतम बुद्ध की 22 प्रतिज्ञा लेकर बौद्ध धर्म अपना लिया था। इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तर-प्रदेश सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद ने शिरकत की थी। इस दौरान धर्म ग्रहण करने वाले लोगों ने इसे घर वापसी करार देते हुए भगवान गौतम बुद्ध के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया था।
वहीं बीती 16 नवम्बर को उत्तराखंड प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा कैबिनेट की बैठक में धर्मांतरण रोधी कानून में जबरन धर्मांतरण के दोषी के लिए सजा के प्रावधान को 2 साल और बढ़ाकर 10 साल किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी थी जिसके बाद इस प्रस्ताव का विरोध शुरू हो गया है। काशीपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के द्वारा इस कानून को हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही गई थी। आज इसी प्रस्ताव के विरोध में एक बार फिर अंबेडकर पार्क जनकल्याण सेवा समिति के तत्वाधान में काशीपुर के उप जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर उप जिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह को देश की महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें कहा गया कि उत्तराखंड और भारत सरकार अपनी सत्ता के नशे में चूर होकर भारतीय संविधान का उल्लंघन करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने के उद्देश्य से धर्मांतरण कानून लाकर अधिकारों का हनन करना चाहती है। ज्ञापन के माध्यम से उत्तराखंड और भारत सरकार के द्वारा बनाए जा रहे ऐसे कानूनों पर रोक लगाने की मांग की गई।
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए समिति के अध्यक्ष चंद्रहास गौतम ने कहा कि उत्तराखंड और केंद्र सरकार धर्मांतरण कानून लेकर आ रही है उसे मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए उसको खत्म करने को लेकर यह ज्ञापन दिया गया है। व्यक्ति को आजादी है कि वह किसी भी धर्म में जाए तथा किसी भी धर्म की उपासना करे। उन्होंने सरकार पर धर्मांतरण रोधी कानून लाकर आम जनता का ध्यान बेरोजगारी, महंगाई तथा भ्रष्टाचार आदि मुद्दों से भटकाने का आरोप लगाया। वहीं उन्होंने कहा कि इस कानून को खत्म करवाने के लिए अगर उन्हें हाई कोर्ट का सुप्रीम कोर्ट का भी सहारा लेना पड़े तो वह इसके लिए भी पीछे नहीं हटेंगे तथा इसके साथ-साथ जन आंदोलन भी चलाया जाएगा।
Deepali Sharma
सम्पादक
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