December 23, 2024

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देश को मिलेगा आज 15वां राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू आज लेंगी राष्ट्रपति पद की शपथ।

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द्रौपदी मुर्मू आज देश के सर्वोच्च पद यानी कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। वह देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में आज सवा 10 बजे संसद के केंद्रीय कक्ष में सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश एनवी रमण उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाएंगे। उसके बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। उसके बाद राष्ट्रपति का सम्बोधन होगा।


आपको बताते चलें कि बीते दिनों राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को शिकस्त दी थी। मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अलावा अनेक राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री तथा संसद सदस्य आदि शामिल होंगे। संसद के केंद्रीय कक्ष में समारोह के बाद नवनियुक्त राष्ट्रपति अपने काफिले के साथ राष्ट्रपति भवन के लिए रवाना होंगी जहां उन्हें इंटर-सर्विस गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।

द्रौपदी मुर्मू का सियासी सफर

द्रौपदी मुर्मू ने अपने सियासी करियर की शुरुआत वार्ड काउंसलर के तौर पर साल 1997 में की थी। उस वक़्त वह रायरंगपुर नगर पंचायत के चुनाव में वॉर्ड पार्षद चुनी गईं और नगर पंचायत की उपाध्यक्ष बनाई गईं। उसके बाद वे राजनीति में लगातार आगे बढ़ती चली गईं और रायरंगपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर दो बार (साल 2000 और 2009) विधायक भी बनीं। पहली बार विधायक बनने के बाद वे साल 2000 से 2004 तक नवीन पटनायक के मंत्रिमंडल में स्वतंत्र प्रभार की राज्यमंत्री रहीं। उन्होंने मंत्री के बतौर क़रीब दो-दो साल तक वाणिज्य और परिवहन विभाग और मत्स्य पालन के अलावा पशु संसाधन विभाग संभाला। उस वक़्त नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) और बीजेपी ओड़िशा मे गठबंधन की सरकार चला रही थी। 18 मई 2015 को उन्होंने झारखंड की पहली महिला और आदिवासी राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी। वह छह साल, एक महीना और 18 दिन इस पद पर रहीं. वह झारखंड की पहली राज्यपाल हैं, जिन्हें अपने पाँच साल के टर्म को पूरा करने के बाद भी उनके पद से नहीं हटाया गया। वह यहाँ की लोकप्रिय राज्यपाल रहीं, जिनकी प्रतिष्ठा सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों खेमों में थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए। हाल के सालों में जब कुछ राज्यपालों पर पॉलिटिकल एजेंट की तरह काम करने के आरोप लगने लगे हैं, द्रौपदी मुर्मू ने राज्यपाल रहते हुए ख़ुद को इन विवादों से दूर रखा।