यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध के बीच वहां फंसे भारतीयों को भारत सरकार के द्वारा निकाले जाने का क्रम लगातार जारी है। इसी क्रम में काशीपुर में रहने वाली और यूक्रेन के इवानफ्रेंकईव्स शहर में मेडिकल की पांचवें वर्ष की छात्रा कादंबिनी मिश्रा देर रात काशीपुर पहुंची। काशीपुर पहुंचने के बाद आज उन्होंने सबसे पहले से बातचीत की।
आपको बताते चलें कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद वहां के हालात काफी भाई अवश्य हो चले हैं। इस बीच यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे भारतीयों को सकुशल वहां से निकालने के लिए भारत सरकार के द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। भारत सरकार के द्वारा अब तक वहां से निकाले गए छात्र छात्राओं में उत्तराखंड के छात्र-छात्राएं भी शामिल है। उन्हीं में से सकुशल वापस लौटी काशीपुर की कादिम्बिनी मिश्रा पुत्री अशोक मिश्रा भी शामिल हैं। यूक्रेन में उत्तराखंड के काशीपुर के 8 छात्र छात्राओं समेत कुल 9 लोग फंसे हुए थे। जिनमें से काशीपुर की पहली छात्रा कादिम्बिनी मिश्रा देर रात काशीपुर अपने घर परिवार के बीच पहुंची। इस बीच काशीपुर में अपने परिजनों के बीच पहुंचने पर वह काफी खुश दिखाई दी। इस दौरान बातचीत में कादिम्बिनी मिश्रा ने बताया कि वह इवानफ्रेंकईव्स शहर में वहां की इवानफ्रेंकईव्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पांचवीं वर्ष की छात्रा हैं। उन्होंने कहा कि उनके शहर में हालात फिलहाल सामान्य थे लेकिन उनकी इवानफ्रेंकईव्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुछ टीचर्स के द्वारा युद्ध के हालात होने के बावजूद भी पढ़ाई पर ही जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के हालात बहुत खराब है लेकिन उनकी शहर में इतना कुछ नहीं हो रहा है। बॉर्डर पर काफी भीड़ है।
उन्होंने कहा कि अगर जो लोग बॉर्डर बात कर ले रहे हैं तो उन्हें दूसरे देश की जनता व प्रशासन के द्वारा काफी मदद की जा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी यूनिवर्सिटी के द्वारा 20 बसों की व्यवस्था की गई थी और वह बीते शनिवार को निकलने वाले थे लेकिन उन्होंने और अन्य छात्रों ने सोचा कि 20 बसों में काफी भीड़ हो जाएगी इसीलिए उन्होंने अपने खर्चे पर 2 बसों की व्यवस्था कर शुक्रवार की शाम को निकल पड़े। 4 से 5 घंटे का सफर तय करने के बाद वह सीमा पर पहुंचे, जहां पर पहले से ही काफी मात्रा में बॉर्डर पार करने के लिए भीड़ जमा थी। सीमा पर 2 से 4 किलोमीटर तक बसों की लंबी लाइन लगी हुई थी लिहाजा उन्होंने और उनकी साथी छात्राओं ने माइनस 2 डिग्री तापमान के बावजूद 4 से 5 किलोमीटर का लंबा सफर पैदल ही तय कर बॉर्डर पार किया। उन्होंने कहा कि उनके शहर में केवल एयरपोर्ट पर ही मिसाइल अटैक हुआ था जिससे कि एयर ट्रैफिक को रोका जा सके। उन्होंने बॉर्डर पर फंसे छात्र छात्राओं से धैर्य बरतने की अपील करते हुए कहा कि अगर वह थोड़ा सा संयम और धैर्य बरतेंगे तो सभी छात्र छात्राएं सकुशल अपने घर पहुंच जाएंगे।
इस दौरान बात करते हुए कादिम्बिनी के पिता और काशीपुर के पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी अशोक मिश्रा ने मेडिकल की शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए यूक्रेन, फिलीपींस और बांग्लादेश आदि देशों की सिकल यूनिवर्सिटी का रुख करने वाले सभी बच्चे नीट क्वालिफाई हैं और हमारे देश में मेडिकल की पढ़ाई इतनी महंगी हो गई है कि यदि बच्चा मेडिकल की पढ़ाई पढ़ना चाहता है तो बाध्य होकर उसके अभिभावकों उसे विदेश मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं। वहीं निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस इतनी महंगी है कि अभिभावकों उसे वहन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सरकार के संरक्षण में निजी मेडिकल कॉलेज फल फूल रहे हैं। वहां डोनेशन इतना है कि इतने पैसे में विदेश में अभिभावक अपने बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई पूरी करवा सकते हैं।
Deepali Sharma
सम्पादक
खबर प्रवाह
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