महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हरिद्वार से जल भरकर लाने के बाद बम भोले के जयकारों के बीच काशीपुर, जसपुर तथा बाजपुर और दूरदराज के शिवभक्तों ने देर रात से मोटेश्वर महादेव मंदिर पर जलाभिषेक किया। इसी के साथ साथ शिवभक्तों ने काशीपुर के विभिन्न शिव मंदिरों और शिवालयों में जाकर पूजा अर्चना की। स्थानीय व आसपास के क्षेत्रों के हजारों की संख्या कांवरियों ने आज काशीपुर में चैती मंदिर के पास मोटेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया। पूजा अर्चना करने वालों व शिवलिंग पर जल चढाने वाले शिवभक्तों का तांता लगा रहा। इस दौरान कोरोना नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ती दिखाई दी। मेले में आने वाले अधिकतर लोगों ने मुंह पर मास्क तक नहीं लगा रखे थे।
कहते भक्ति में शक्ति होती है। इसी को प्रत्येक वर्ष चरितार्थ करते हैं हरिद्वार से कावर के जरिए गंगाजल भर काँवर लाने वाले कांवरिये। महाशिवरात्रि के अवसर पर हरिद्वार से काँवर में गंगाजल लाये शिव भक्तों ने काशीपुर के मोटेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचकर देर रात से जलाभिषेक किया। काशीपुर के महाभारत कालीन मोटेश्वर महादेव मंदिर में हजारों की संख्या में शिव भक्तों व हरिद्वार से जल लेकर आये कांवरियों के जलाभिषेक का क्रम जारी है। मध्य रात्रि से ही शिव भक्त भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे है। महाशिवरात्रि के अवसर पर मोटेश्वर मंदिर में पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किये गए। काशीपुर के इस प्राचीनतम मंदिर पर भक्तों की अटूट आस्था है। इस दौरान खेल तमाशा से लेकर खाने पीने की वस्तु के स्टाल तथा झूले और अन्य आवश्यक वस्तुओं की दुकानें पर जमकर भीड़ दिखाई दी।
महाभारत कालीन मोटेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग 12वां उप ज्योतिर्लिंग है। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। स्कंद पुराण में भगवान शिव ने कहा कि जो भक्त कांवर कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा। इसी मान्यता के चलते मन्नत पूरी होने पर यहाँ लोग कांवर चढ़ाते हैं। काशीपुर के चैती मैदान में महादेव नहर के किनारे मोटेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यहां रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। हर साल महाशिवरात्रि पर्व पर यहां भव्य मेला लगता है। काशीपुर तथा जसपुर और बाजपुर के अलावा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, ठाकुरद्वारा से कई श्रद्धालु यहां हर साल कांवड़ चढ़ाने आते हैं। शिवरात्रि में एक दिन पहले से मंदिर में भक्तों की लाइन लग जाती है और आधी रात से कांवड़ चढ़नी शुरू हो जाती है। मोटेश्वर महादेव मंदिर दूसरी मंजिल पर है। शिवलिंग के चारों ओर तांबे का फर्श बना है। यह मंदिर जागेश्वर के कारीगर ने बनाया है। मोटाई अधिक होने के कारण शिवलिंग किसी व्यक्ति की कोलिया में नहीं आता। देर रात से नगर के मोटेश्वर महादेव मंदिर, बांसीयो वाला मंदिर, नागनाथ मंदिर, हरी शंकर मंदिर, गंगे बाबा मंदिर समेत नगर के विभिन्न मंदिरों में शिव भक्तों का ताता लगा रहा।
वही भारतीय सेना को समर्पित बाजपुर के युवकों द्वारा लाई गई कांवर आकर्षण का केंद्र रही जिसमें हरिद्वार से कावड़ में जल भरकर लाने वाले सभी युवक भारतीय सेना की वर्दी पहने हुए दिखे। इसके अलावा जसपुर में प्राचीन शिव मंदिर पर रात से ही श्रद्धालु पहुंचना शुरू हो गए थे तो वही सुबह से ही मंदिरों में जलाभिषेक भी शुरू हो गया। मान्यता है कि 100 साल पुराना यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है और यहां लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और प्राचीन होने के नाते हैं इस मंदिर की काफी मान्यता भी है भक्तों की माने तो रात 12:00 बजे से ही आज श्रद्धालु आने शुरू हो जाते हैं और आज महाशिवरात्रि के दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था तब से इस महाशिवरात्रि के पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है।
Deepali Sharma
सम्पादक
खबर प्रवाह
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