December 23, 2024

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लिव इन रिलेशनशिप पर क्या बोले काशीपुर के पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा, देखिये वीडियो।

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ख़बर प्रवाह (NEWS FLOW) 26 जुलाई, 2024

समाज में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे अंतर्धार्मिक जोड़ो को मिलने वाली सुरक्षा के नियम व कानून से उत्पन्न हो रही व होने वाली समस्याओं के प्रति काशीपुर के पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने इस प्रकार के रिलेशन को समाज के प्रति बेहद घातक बताया है।

काशीपुर के पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने दरअसल लिव इन रिलेशन में रह रहे अंतरधार्मिक जोड़ों को सुरक्षा मिलने के नियम व कानून से उत्पन्न ही रही व होने वाली समस्याओं के प्रति इस प्रकार के रिलेशन को समाज के लिए बेहद घातक बताया है। असल में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा उत्तराखण्ड में लागू समान नागरिक संहिता को मद्देनजर रखते हुए ऐसे जोड़ों को सुरक्षा दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं तो वहीं इस पर पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि वह माननीय न्यायलय के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं लेकिन उनका फोकस भविष्य की उन स्थितियों के प्रति पड़ने वाले प्रभाव से है जो इस प्रकार के रिश्ते समाज एवं धार्मिक विचारधारा को तार तार कर देंगे। पूर्व विधायक चीमा ने कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं लेकिन हमारा समाज जो आपसी सौहार्द का गुलदस्ता है, वह इन बढ़ती हुई सामाजिक कुरीतियों को कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। अपने अपने धर्म के भीतर ही इस तरह के लिव इन रिलेशन को सामाजिक एवं कानूनी मान्यता दिया जाना आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वीकार्य हो सकता है परन्तु पह भी मन से नहीं। ऐसे रिश्तों में धोखा होता है और कुछ समय बाद इनमें बिखराव हो जाता है। ऐसे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है जिसके लिए उन्हें सारी जिन्दगी पछताना पड़ता है। ऐसे रिश्तों को सुरक्षा प्रदान करने व आपस में शादी करने की स्वीकृति देने से निश्चित तौर पर समाज में आपसी भाईचारा व रिश्ते खराब होंगे। समान नागरिक संहिता का उपयोग लोगों की तरक्की के लिए होना चाहिए न कि धार्मिक रिस्तों में बिखराव के लिए। चीमा का मानना है कि धार्मिक क्षेत्र में इसके प्रयोग को मान्यता दिए जाने से अवश्य ही सभी धर्मो को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इस तरह के रिस्तों से प्रभावित परिवारों को समाज कभी भी स्वीकार नहीं करता है जो एक सच्चाई है और उन्हें सामाजिक उपहास का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि इसको लेकर समाज चिंतित भी है और दुखी भी है लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा है। अंतर्धार्मिक जो संबंध बनते हैं वह कानून की नजर में तो सही है पर समाज की नजर में आज भी गलत है क्योंकि एक समय के बाद इन रिश्तों का विच्छेदन हो जाता है। उनके बच्चों का जीवन दुःखमय कष्टमय और अव्यवहारिक हो जाता है। कानून बनाने से पहले यह ध्यान देना आवश्यक है कि समाज के ऊपर और जनता के ऊपर इसका क्या असर पड़ेगा। इसके चलते विधायक रहते हुए उनके ऊपर कई मुकदमे भी दर्ज हुए भले उन मुकदमों को सरकार ने बाद में वापस ले लिया हो लेकिन बाद में पता चला कि वह दम्पत्ति अपना जीवन व्यतीत नहीं कर पाए। यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं। उनके इस व्यक्तिगत विचार को जनमानस भी गौर करे साथ ही सरकार गौर करे। उन्होने कहा कि मैं कहूंगा कि यह कानून गलत है लेकिन इसका असर क्या है यह देखने वाली बात होगी।