खबर प्रवाह (28 मार्च, 2023)
उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मेलों में शुमार काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी प्रांगण में आयोजित हो रहे चैती मेले के बीते 22 मार्च को हुए शुभारम्भ के बाद माँ बाल सुंदरी देवी का डोला आज सप्तमी और अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में चैती मंदिर के लिए रवाना होगा। चैती मंदिर कल सुबह पहुंचने के बाद तड़के मंदिर भवन पहुंचकर प्रथम पहर की आरती स्वीकार करेंगी।
मां के दर्शन के लिए दोपहर से ही लंबी-लंबी लाइनों में श्रद्धालु खड़े दिखाई दिए इस दौरान मां के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए तथा माथा टेक कर मन्नत मांगी इस दौरान श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा गया। श्रद्धालुओं के मुताबिक उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है और यहां से जाने की इच्छा नहीं कर रही है लेकिन बाकी भक्तों को मां के दर्शन करने हैं इसलिए दर्शन करके जाना पड़ रहा है। माता सुंदरी मां से जो मांगो वही मिलता है।
आपको बताते चलें कि प्रत्येक वर्ष बाल सुंदरी देवी प्रांगण में लगने वाला मेला इस बार 22 मार्च को चैत्र मास के प्रथम नवरात्र से ध्वजारोहण के साथ शुरू हो गया। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मां के डोले में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। डोला रवाना होने से पूर्व आज दोपहर भगवती मां बाल सुंदरी को पंडा मनोज कुमार अग्निहोत्री के आवास पर सार्वजनिक दर्शनों के लिए फूलों एवं पारंपरिक वस्त्रों में सजा कर रख दिया गया जहां भक्तों ने मां बाल सुंदरी की देवी के साक्षात दर्शन किये। इस दौरान सहायक प्रधान पंडा पंडा मनोज कुमार अग्निहोत्री ने बताया कि आज शाम 4 बजे से रात्रि 12:00 बजे से उनके आवास पर भक्तों के लिए सार्वजनिक रूप से सुलभ रहेंगी और भक्त उनके दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद रात्रि 12 बजे से घट स्थापित करके पूर्ण विधि विधान के साथ सांकेतिक बलि के साथ हवन पूजन किया जाएगा। तत्पश्चात साथ गाजे-बाजे और धूम-धड़ाके तथा ढोल नगाड़ों की थाप पर झूमते हुए श्रद्धालुओं की भक्ति के बीच पुलिस की कड़ी सुरक्षा में मां बाल सुंदरी देवी का डोला सुबह 3:00 से 3:30 बजे के बीच के नगर मंदिर पंडा आवास से चैती मंदिर के लिए प्रस्थान करेगा। जहां देवी मां बाल सुंदरी सुबह तड़के 4:00 बजे प्रथम पहर की आरती स्वीकार करेंगी। जिसके बाद श्रद्धालु अपनी आराध्य व कुलदेवी के दर्शन कर मत्था टेक कर मन्नत मांगेंगे।
दरअसल मां बाल सुंदरी देवी का डोला प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि की सप्तमी और अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि को मोहल्ला पक्का कोट स्थित नगर मंदिर से चैती मंदिर के लिए रवाना होता है। इस बार यह मां की प्रतिमा डोले के रूप में आज मध्य रात्रि यानी कि सप्तमी और अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि रवाना होगी और त्रयोदशी और चतुर्दशी यानी कि 4 और 5 अप्रैल की मध्यरात्रि में वापस नगर मंदिर पहुंचेगा। उन्होंने बताया कि मां बाल सुंदरी देवी के दर्शन साल भर सुलभ नहीं हो पाते हैं इसलिए भक्तों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। वही जब मां का डोला चैती मंदिर पहुंचेगा तब उत्तर भारत के समस्त क्षेत्र के श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए काशीपुर पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि मां को बलि के प्रतीकात्मक रूप में नारियल, दक्षिणी जायफल समर्पित करने के बाद ही डोला उठता है। पहले बकरे की बलि का प्रचलन था लेकिन समय के बदलते स्वरूप को देखते हुए सांकेतिक बलि दी जाती है।
मां की बड़ी कृपा है कि मां इस तरह की बलि स्वीकार करते हुए सब पर कृपा बनाए रखती हैं। उन्होंने कहा कि मां की बहुत बड़ी कृपा है कि वह काशीपुर में बाल सुंदरी के नाम से विराजमान हैं। मां का चेहरा गौर से देखने पर उनका चेहरे पर अबोध बालिका के समान भोलापन और तेज है। मां की प्रतिमा में गौर से देखने पर मां के दाएं हाथ में कमल है जोकि मां सरस्वती का प्रतीक है, सिर पर मुकुट है जो महालक्ष्मी का प्रतीक है और बाएं हाथ मे प्याला है जोकि महाकाली का प्रतीक है। सात्विक, तामसी और राजसी तीनों ही विशेषताएं मां के इस रूप में है इसलिए इनका नाम बाल सुंदरी है। बाल रूप में बालक का व्यवहार शनैः शनैः बदल जाता है इसलिए माँ ने बाल रूप में ही तीनों शक्तियां प्राप्त की है। चैती मंदिर में मां तीनों ही पद्धतियों के पूजन स्वीकार करती हैं।
बाइट- पंडा मनोज अग्निहोत्री, सहायक प्रधान पंडा
बाइट- नीता, श्रद्धालु (सफेद चुन्नी में)
बाइट- नमिता शर्मा, श्रद्धालु (हरे सूट में)
बाइट- शालिनी, श्रद्धालु (पीले सूट और पीली चुन्नी में)
Deepali Sharma
सम्पादक
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