खबर प्रवाह (06 मार्च, 2023)
फाल्गुन के महीने में रंगों के पर्व होली के अवसर पर जहाँ सभी जगह रंगों और गुलाल आदि का प्रचलन है। सभी जगह कई दिन पहले से रंगों और गुलाल आदि से होली खेली जाती है। वहीं उत्तराखण्ड के काशीपुर में कई वर्षों से इससे अलग हटकर फूलों की होली का प्रचलन है। रंग से एक दिन पूर्व होली वाले दिन काशीपुर में पिछले 10 सालों से फूलों की होली की शोभायात्रा निकाली जाती है।
काशीपुर की सड़कों पर होली की मस्ती में नाचते गाते शहरवासियों ने कई वर्ष पहले जिस नयी परंपरा को जन्म दिया था उसी को निभाते हुए आज भी वह फूलों की होली खेलते हुए दिख रहे हैं। पिछले कई सालों से उसी के मद्देनज़र इस बार भी आज काशीपुर में राधा कृष्ण महोत्सव कमेटी की तरफ से पुरानी सब्जी मंडी के पास राधा कृष्ण मंदिर से फूलों की होली की शोभायात्रा निकाली गयी। जिसका आगाज़ गंगे बाबा मन्दिर से हुआ। जिसके बाद शोभायात्रा किला बाज़ार, पुरानी सब्जी मंडी, मुख्य बाजार, नगर निगम रोड, कोतवाली रोड, महाराणा प्रताप चौक, जेल रोड माता मंदिर मोड़, रतन सिनेमा रोड से होकर नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए शोभायात्रा वापस देर शाम को वापस गंगे बाबा मन्दिर पर आकर समाप्त हुई। शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण काशी की भोले बाबा की मसाने की होली और युवाओं के द्वारा हैरतअंगेज करतब रहा। शोभायात्रा में शामिल लोगों के मुताबिक़ वह पिछले कई सालों से रंग से एक दिन पूर्व फूलों की होली का आयोजन करते हैं। क्या युवा, क्या बच्चे और क्या महिलाएं सभी इस फूलों की होली की शोभायत्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इसमें कई क्विंटल फूल खर्च होते हैं। ख़ास बात यह हैं कि इस शोभायात्रा में फूल ही फूल एक दूसरे पर डालकर होली का जश्न मनाते हैं और मथुरा और वृंदावन की झलक इस शोभायात्रा में देखने को मिलती है। इस बार फूलों की होली की शोभायात्रा में भगवान गणेश की झांकी, मां सरस्वती की, मां लक्ष्मी और भगवान शंकर जी की झांकी भी आकर्षण का केंद्र रही। वहीं राधा कृष्ण जी का डोला भी आकर्षण का केंद्र रहा।
Deepali Sharma
सम्पादक
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