रूस ने अब यूक्रेन के ऊपर हमले और भी तेज कर दिये हैं। वहीं ऐसे में भारत सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र छात्राओं के अलावा विभिन्न कार्यक्षेत्रों में यूक्रेन में बसे भारतीयों को निकालने का कार्य युद्ध स्तर पर तेज कर दिया है। इसी के तहत उत्तराखंड के काशीपुर की कादिम्बिनी मिश्रा के सकुशल वापस लौटने के बाद आज अहमद शम्स और उनकी बहन मरियम भी सकुशल काशीपुर पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने वहां के हालातों के बारे में विस्तार से बताया।
आपको बता दें कि सप्ताह भर से रूस और यूक्रेन के मध्य छिड़े युद्ध के बीच काफी संख्या में भारतीय नागरिक फंस गए थे, जिनमें उत्तराखंड के काशीपुर के 8 छात्र छत्राओं समेत कुल 9 लोग शामिल थे, जिन्हें कि सकुशल वापस लाने की प्रक्रिया के तहत भारत सरकार के प्रयासों के चलते बीते रोज काशीपुर की कादिम्बिनी मिश्रा सकुशल अपने परिवार के बीच पहुँची। वहीं बीती शाम इंडियन एयरफोर्स के जहाज के जरिये यूक्रेन के पड़ोसी मुल्क हंगरी से चलकर आज सुबह 5 बजे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पंहुँचे काशीपुर के शम्सुल आरिफ उर्फ गुड्डू आढ़ती का बेटा अहमद शम्स और बेटी मरियम अंसारी को लेने उनके माता-पिता स्वयं पंहुँचे थे। जहां सुबह 7 बजे दोनों भाई बहन के पहुंचते ही अपने साथ निजी वाहन से लेकर अपने परिचित के यहां दिल्ली पहुंचे। जहां से वह देर रात अपने बेटे और बेटी को लेकर काशीपुर पहुँचे।
अपने बेटे और बेटी को अपने बीच में पाकर शमशुल आरिफ उर्फ गुड्डू आढ़ती और उनकी पत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं था, तो वही अपने शहर में पहुंचकर दोनों भाई-बहन खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। इस दौरान बातचीत में अहमद शम्स ने कीव के हालात और मरियम ने विनिसिया के हालातों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि रूसी हमले के दौरान किस तरह से वह अपने आप को बचाते रहे। इस दौरान मरियम अंसारी ने यूक्रेन में भारतीय दूतावास के साथ-साथ भारत की सरकार तथा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा यूक्रेन में फंसे भारत के नागरिकों को निकालने की कोशिश की तारीफ की। उन्होंने कहा कि दोनों भाई बहन लीवीव में मिले जिस के बाद में वह ट्रैन के रास्ते बॉर्डर तक आये। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में फंसे हुए भारतीय नागरिको से अपील की है कि वह लोग भारतीय दूतावास से पहले संपर्क करें उसके बाद ही वहां से निकले क्योंकि भारतीय दूतावास के अधिकारी काफी हद तक मदद कर रहे हैं।
मरियम के भाई अहमद शम्स ने वहां फंसे भारतीय छात्रों से अपील करते हुए कहा कि वह जितना जल्दी हो सके बॉर्डर पार कर ले जिसके बाद भारतीय दूतावास के अधिकारी और दूसरे पड़ोसी देश के नागरिक तथा अधिकारी काफी मदद कर रहे हैं। वहीं उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास की वेबसाइट तथा टि्वटर हैंडल पर जाकर मदद ली जा सकती है। उन्हें जल्द भारत ले आएंगे। वहां के हालातों के बारे में अहमद ने बताया कि युद्ध के शुरुआती 2 दिन उन्होंने कीव में बिताए थे, वहां पर रात में मिसाइल के फुल अटैक होते थे तथा रात भर बमबारी तथा मिसाइल के दागे जाने की आवाज आया करती थी जोकि रूह कंपा देती थी। सभी लोगों को सायरन की आवाज आते ही बनकर में छुप जाने की हिदायत दी गई थी। सायरन की आवाज बजते ही बमबारी की आवाज में आना शुरू हो जाती थी। घर पर सुरक्षित पहुंचने के बाद मरियम और अहमद शम्स के पिता समसुल अंसारी उर्फ गुड्डू आढ़ती ने भारत सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयासों के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पूरी टीम का आभार जताया।
Deepali Sharma
सम्पादक
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