रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के बीच वहां कुमाऊं के 13 विद्यार्थी फंसे हुए हैं जिनमें काशीपुर की तीन छात्राएं और एक छात्र भी शामिल है इनकी सकुशल वापसी के जिनके परिजन लगातार दुआ कर रहे हैं।
आपको बताते चलें कि बीते रोज यूक्रेन में रूस के द्वारा हमले के बाद स्थानीय लोग देश छोड़कर पोलैंड हंगरी समेत अन्य स्थानों में शरण ले रहे हैं ऐसे में वहां भारतीय छात्रों में भी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है किसी को भी नहीं पता कि आने वाला पल कैसा होगा रूसी सेना ने किस शहर को पूरी तरह से घेर लिया है। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों में काशीपुर की तीन छात्राएं और एक छात्र यूक्रेन संकट के बीच फंसकर रह गए हैं। काशीपुर के जो छात्र छात्राएं यूक्रेन में फंस गए हैं, उनमें मोहल्ला महेशपुरा फ्रेंड्स कॉलोनी मंझरा रोड काशीपुर के रहने वाले शमशुल आरिफ उर्फ गुड्डू आढ़ती का पुत्र अहमद शम्स तथा उसकी बहन मरियम अंसारी, परसादीलाल बाग कटोरा ताल के रहने वाले शमीम सैफी की पुत्री उंजिला सैफी एवं थाना आईटीआई जसपुर खुर्द के रहने वाले नरेंद्र सिंह नागरा की पुत्री सुखबीर कौर है। अहमद शम्स अंसारी एक वर्ष से यूक्रेन के कीव में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है तो उसकी बहन मरियम अंसारी यूक्रेन के विनिसिया शहर में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाये कर रही है। उंजिला सैफी पिछले 3 वर्षों से यूक्रेन एमबीबीएस का कोर्स कर रही है तथा वर्तमान में खारकीव में है।
वहीं सुखबीर कौर वर्तमान में यूक्रेन के विनिसिया में 3 वर्ष से एमबीबीएस का कोर्स कर रही है। यूक्रेन में फंसे सभी छात्रों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। यूक्रेन में फंसे सभी छात्रों के परिजन लगातार उनसे संपर्क किए हुए हैं तथा उनकी सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं। ईटीवी भारत से बातचीत में अहमद शम्स और उसकी बहन मरियम के पिता शम्सुल आरिफ उर्फ गुड्डू ने बताया कि उनका बेटा अहमद शम्स कीव में तथा बेटी मरियम विनिसिया में है। उन्होंने बताया कि उनके बेटे और बेटी ने बताया कि वहां के हालात सही नहीं है तथा उन्हें बाहर निकलने के ऑर्डर नहीं है तथा उन्हें बंकर में बैठना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत सरकार तथा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर पूरा भरोसा है कि वह विश्व में फंसे सभी नागरिकों के साथ साथ उनके बेटे तथा बेटी को भी सकुशल देश वापस ले आएंगे। खाने पीने का सामान दोगुने कीमत पर मिल रहा है जिसे कि खरीदने के लिए बच्चों के पास पैसे भी नहीं है। बैंकों से पैसे भी नहीं निकल रहे हैं। सभी जगह मार्शल लॉ लागू है।
उनके मुताबिक बेटी मरियम दिसंबर 2021 में तथा बेटा अहमद सम्स जनवरी में छुट्टी बिताकर यूक्रेन गया है। वही यूक्रेन के खारकीव में रहकर पिछले 3 वर्षों से से एमबीबीएस का कोर्स कर रही उंजिला सैफी के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। उंजिला की बहन डॉक्टर शदफ़ ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उनकी बहन उंजिला यूक्रेन के खारकीव में खारकीव मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। उन्होंने बताया कि अंतिम बार उंजिला अगस्त 2021 में आई थी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वहां के हालात काफी संजीदा है जिसके चलते उनकी बहन और उनके साथी कभी मेट्रो तो कभी बेसमेंट में समय गुजार रहे हैं। उनके पास खाने-पीने का सामान ना के बराबर रह गया है। उन्होंने वहां की यूनिवर्सिटी के डीन तथा अन्य प्रबंधन पर वहां पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि उनके द्वारा वतन वापसी के लिए कहने पर उन्होंने कहा कि आप अपने रिस्क पर वापस जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वहां की यूनिवर्सिटी में उस दिन भी पढ़ाई जारी रही जिस दिन वहां बमबारी की गई। वही सुखबीर कौर के पिता नरेंद्र सिंह नागरा ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि वहां के हालात के बारे में उनकी बेटी सुखबीर ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि वहां पर बंकर में खाने-पीने का सामान नहीं बचा है। ऑक्सीजन की कमी भी है। उन्होंने भारत सरकार से उनकी बेटी को सकुशल वापस लाने की गुहार लगायी है।
Deepali Sharma
सम्पादक
खबर प्रवाह
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