September 21, 2024

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‘बारिश की एक बूंद’ काव्य संग्रह पत्थर पर मोमबत्ती से लकीर खींचने की कोशिश- राकेश अचल

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कविता की भाषा को लेकर मै कभी भ्रमित नहीं होता .’ आह से उपजा होगा गान ‘ वाली कविता की सबसे पुरानी परिभाषा से इतर मुझे प्रो प्रकाश दीक्षित की कविता की परिभाषा सबसे अधिक प्रभावित करती है .वे कहते थे कि -‘ कविता लिखना इतना आसान तो नहीं ,जितना की सुबह के सूरज का निकलना.कविता एक कोशिश है पत्थर पर मोमबत्ती से लकीर खींचने की , जिसमें पत्थर का तो कुछ नहीं जाता,घिसती है मोमबत्ती ही.’ मुमकिन है कि कविता आपको इतनी जटिल चीज न लगे,किन्तु कविता लिखना सचमुच जटिल काम है.
उत्तराखंड के वरिष्ठ कवि विनोद भगत का दूसरा काव्य संग्रह ‘ बारिश की एक बूँद ‘ पढ़ते हुए मुझे प्रतीत हुआ कि वे सचमुच पत्थर पर मोमबत्ती से लकीर खींचने की कोशिश करते हैं .संग्रह की 79 कविताओं में से गुजरते हुए आपको कई जगह ठहरना पड़ता है .भगत की अनेक कविताएं आपको हाथ दिखाकर रोक लेती हैं .सामाजिक सरोकारों के इर्द-गिर्द घूमती इन कविताओं को सरसरी नजर से नहीं पढ़ सकते .इनके लिए एकाग्रता की जरूरत है .
संग्रह की दूसरी कविता जमीन नफरत की या छठवीं कविता ‘ आम आदमी ‘ ऐसी ही कविताओं में शुमार की जा सकती हैं .भगत जी का ये संग्रह दरअसल एक गुलदस्ता है. इसमें तुकांत,अतुकांत सभी तरह की कविताएं हैं.लेकिन मेरा मानस कहता है कि भगत जी जितनी बेहतर अभिव्यक्ति अतुकांत कविताओं के जरिये कर पाए हैं उतनी प्रखरता उनकी छंदबद्ध कविताओं में नहीं है .वे गीत लिखते हैं ,गजल भी लिखते हैं लेकिन मेरी दृष्टि से वे मुक्त छनद की कविता सबसे बेहतर लिखते हैं और उन्हें इसी में अपनी साधना को प्रखर बनाना चाहिए ‘.बारिश की एक बूँद ‘ अनुभवों का पूरा खारापन लिए हुए है. मजबूत छंद विधान न होने के बावजूद आप समझ सकते हैं कि कवि आखिर कहना क्या चाहता है .
दरअसल कविता का मूल श्रोत तो छंद ही है ,किन्तु छंद की साधना तनिक कठिन है.इसका अर्थ ये कदापि नहीं कि आप छंद से दूरी बना लें .आपकी छंदमुक्त कविताओं का प्रभाव भी छंदयुक्त कविताओं की तरह पाठक को आकर्षित कर सकता है ,और विनोद भगत कि कविताओं की यही तासीर है. झमेला,बेशर्मी और कोई बताएगा मुझे ऐसी ही छांदिक कविताएं हैं .जबकि उनके पास ‘ स्त्री’ जैसी सशक्त मुक्त छंद की कविता भी है. माफ़ी मत मांगना,गंवार आदि कविताओं ने मुझे बेहद प्रभावित किया .परिलेख प्रकाशन नजीबाबाद ने इस काव्य संग्रह को मुस्तैदी से छापा है. टंकण की त्रुटियां नगण्य हैं इसलिए वे बधाई के पात्र हैं.प्रकाशक यदि चाहता तो इस संग्रह की कीमत तनिक और कम हो सकती थी.
बहरहाल विनोद भगत के इस कविता संकलन का कविता संसार में स्वागत होना चाहिए .उनकी कविताएं समय के शिलालेख की तरह हैं. मै विनोद भगत की कविताओं को लेकर आशान्वित हूँ और उम्मीद करता हूँ कि उनका तीसरा कविता संग्रह मुक्त छंद की कविताओं पर ही केंद्रित होगा .