December 22, 2024

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राधिका केदारखंडी ने राम कथा के सातवें दिन अरण्यकांड का किया व्याख्यान, श्रोता ले रहे हैं कथा का दिन प्रतिदिन आनंद।

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काशीपुर में राधिका केदारखंडी के द्वारा आज रामकथा के सातवें दिन अरण्यकांड की कथा प्रारंभ हुई जिसमें उनके द्वारा राम लक्ष्मण के साथ सूपर्णखा के संवाद के साथ-साथ सीता हरण तथा सीता जी की खोज में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदेश पर वानर सेना के द्वारा समुद्र में पुल बांधने के बाद समुद्र पार उतरकर लंका नगरी में प्रवेश तक का वर्णन किया गया।

आपको बताते चलें कि बीते 8 मार्च से राधिका केदार खंडी के द्वारा 10 दिवसीय राम कथा का वर्णन किया जा रहा है। कथा के सातवें दिन आज राधिका केदार खंडी ने अपने मुखारविंद से अरण्यकांड से आज की कथा का शुभारंभ किया। कथा के दौरान उन्होंने आज चित्रकूट में सुंदर फूलों से सीता जी का श्रंगार किया उसी समय वहां इंद्र का पुत्र जयंत आया और यह दृश्य देखा जिसके बाद इंद्र पुत्र को शंका हुई कि यह ब्रह्म नहीं है तो इंद्र पुत्र जयंत कौवे का रूप धारण करके आया और सीता जी के चरणों में चोट मार के भाग गया।

भगवान राम ने क्रोध में आकर एक तिनके का बाण छोड़ा, आगे आगे जयंत और पीछे पीछे भगवान राम का बाण चला किसी ने जयंत की मदद नहीं की तभी मार्ग में नारद जी मिले और नारद जी ने जयंत को राम की शरण में भेजा तब रामजी ने उसे एक आंख का काना करके छोड़ दिया। इसके बाद चित्रकूट में अनेक लीलाएँ करके भगवान मार्ग में आगे बढ़े और ऋषि के आश्रम में पहुंचे। सुंदर स्वागत ऋषि और अनुसूया जी ने किया। माता अनुसूया ने सीता जी को स्त्री धर्म की सुंदर शिक्षा दी और उनका दिव्य श्रृंगार किया। आगे प्रभु ने मार्ग में विराध नामक राक्षस का वध कर अगस्तय मुनि के आश्रम में पधारे। अगस्त ऋषि से पूछ कर भगवान ने पंचवटी में प्रवेश किया।

जहां प्रभु के आगमन से पंचवटी में बसंत ऋतु का निर्माण हुआ। वही पंचवटी में शूर्पणखा जो कि रावण की विधवा बहन थी। उसने राम लक्ष्मण के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा जिसके बाद जब वह सीता जी पर प्रहार करने लगी तो भगवान प्रभु राम की आज्ञा से लक्ष्मण ने सूपर्णखा को बिना नाक कान का कर दिया। जिसके बाद अपनी बहन का बदला लेने के लिए रावण ने खर दूषण शिशिरा को भेजा, जिनका भगवान राम ने युद्ध में संहार कर दिया। राधिका केदार खंडी ने राम कथा का आगे व्याख्यान करते हुए कहा कि जब राक्षसों का अत्याचार बढ़ने लगा तब प्रभु राम ने सीता का सत्य स्वरूप अग्नि में रखा और सीता माता का छाया रूप लेकर आगे बढ़े।

एक दिन सुपनखा का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का हरण कर लिया जिसके बाद राम सीता की तलाश में विलाप करते करते आगे बढ़ते गए जहां उनकी जटायु से भेंट हुई। इस दौरान उन्होंने जटायु का उद्धार किया आगे चलकर जटायु का उद्धार करने के बाद प्रभु श्री राम शबरी के आश्रम में पधारे जहां सुंदर नवधा भक्ति का साक्षात्कार किया। सबरी से सीता जी के विषय में पूछ कर प्रभु पंपा सरोवर पर पहुंचे जहां उनकी भेंट नारद मुनि से हुई। आगे चलकर ऋषि मुख पर्वत पर प्रभु पहुंचे जहां उनकी मुलाकात महाबली हनुमान से हुई हनुमान ने सुग्रीव के साथ प्रभु की मित्रता कराई। तब सुप्रीम जामवंत नल नील हनुमान और वानर सेना सीता जी की खोज में आगे चल पड़े। आगे हनुमान ने लंका में पहुंचकर रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध किया और पूरी लंका को जलाकर सीता जी को राम का संदेश सुना कर दोबारा भगवान राम के पास आ गए। उसके बाद भगवान राम ने सारी वानर सेना के साथ समुद्र में पुल बांधकर समुद्र के पार उतर कर लंका नगरी में प्रवेश किया। सातवें दिवस की कथा के उपरांत भगवान राम की आरती की गई। इस दौरान राधिका केदारखंड़ी द्वारा पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया।