उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एयर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के द्वारा चमोली में बीते दिनों आयी आपदा पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पीठ थपथपाने के बाद हरदा के ट्वीट ने खलबली मचाकर रख दी है। ट्वीट में हरदा ने लिखा है कि आज मैंने पुराने रिकॉर्ड तलाशे। विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान मैंने 94 जनसभाएं कीं जिनमें किच्छा में नामांकन के दिन की सार्वजनिक सभा भी सम्मिलित है और हरिद्वार में मैं एक भी सभा नहीं कर पाया। शायद मेरे मन मे यह विश्वास रहा कि सारे राज्य में चुनाव प्रचार का दायित्व मेरा है और किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण में चुनाव प्रचार का दायित्व मेरे सहयोगी संभाल लेंगे। यह भी एक बडी विडंबना रही, कि जो लोग चुनाव प्रचार के दौरान अपने क्षेत्र से बाहर किसी भी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार में नहीं गए। वो मुझसे 59 सीटों पर हार का हिसाब चाहते हैं। इसके अलावा हरीश रावत ने पार्टी के लोगों पर करारे प्रहार किए हैं। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री रावत ये भी कहते हैं कि 2017 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने 94 सार्वजनिक सभाएं कीं। किच्छा में सिर्फ नामांकन के दौरान ही जा पाए, वहीं हरिद्वार ग्रामीण सीट में तो वे एक दिन भी प्रचार में नहीं गए. दोनों सीटों में हरीश रावत मुख्यमंत्री के रूप में चुनावी मौदान में उतरे थे और दोनों सीटों पर उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था। कांग्रेस के भीतर उनके विरोधी नेता इस बात को बार-बार कहते आए हैं कि साल 2017 के विधानसभा चुनावों में ‘सबकी चाहत, हरीश रावत’ नारा दिया था लेकिन इस नारे की जनता ने पूरी तरह हवा निकाल दी। आपको यहां बताते चलें कि सीएम रहते हुए रावत खुद तो दोनों सीटों से हारे ही, साथ ही पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन उत्तराखंड में किया। पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए सवाल करते हुए कहा कि क्या कारण है जो चुनावी जीत के विशेषज्ञ है, उनके चारों तरफ सीटों पर कांग्रेस 2007 से ही हार रही है?
Deepali Sharma
सम्पादक
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