काशीपुर में अब ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित किसी भी मरीज को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है अब इनका समाधान काशीपुर में ही संभव है। ऐसा कर दिखाया है काशीपुर के रहने वाले और दिल्ली के नामी गिरामी हॉस्पिटल में कार्य कर चुके डॉ. पंकज डाबर ने जिन्होंने आज काशीपुर मीडिया सेंटर में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। प्रेस वार्ता के माध्यम से उन्होंने बीते दिनों काशीपुर में बाजपुर के रहने वाले और पिछले 6 माह से ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित युवक का सफल ऑपरेशन किया।
अगर आप अपने या परिवार के किसी जन को ब्रेन ट्यूमर की जानकारी या पता चलना किसी के लिए भी बहुत मुश्किल व दर्दनाक होता है। आजतक, विशेषकर कुमाऊं क्षेत्र में नई तकनीक और मेडिकल सुविधाओं के आभाव में ऐसी खबर और भयप्रद हो जाती है, और जनता को इसके ऑपेरेशन व इलाज के लिए दिल्ली एनसीआर के बड़े और महंगे हस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है। इन बड़े और महंगे हस्पतालों में हालाँकि आपको अच्छा इलाज तो मिल जाता है परन्तु इसके कई अपवाद व नुकसान भी होते हैं। मुरादाबाद रोड स्थित केबीआर हॉस्पिटल के डॉ. पंकज डाबर स्पाइन एवं न्यूरोसर्जरी विभाग के निर्देशक ने प्रेसवार्ता कर बताया कि हाल ही में बाजपुर निवासी 30 वर्षीय युवक जो कि विगत 6 महीने से बीमार था पर उसका बीमारी का सही डायग्नोसिस का पता नहीं चल रहा था।
मरीज के शरीर के दायीं तरफ सुन्नपन और कमजोरी का एहसास हो रहा था, ओर सुन्नीपन धीरे धीरे बढ़ रही थी और मरीज सही तरह से चल फिर नहीं पा रहा था । उसका दायां कन्धा कमजोर हो गया था और कन्धे को उचकाना व हाथ को सर के ऊपर नहीं ले जा पा रहा था। उसको कुछ भी खाने पीने में दिक्कत हो रही थी, तथा खाने पीने पर खांसी आ रही थी । करीब पिछले दो महीने से हिचकी भी काफी ईलाज करने पर भी नहीं रुक रही थी। मरीज को उक्त हॉस्पिटल के डॉ. पंकज डावर के पास लाया गया। डॉ. डाबर ने मरीज की विस्तृत जांच करने के बाद पाया गया की उसकी जिव्हा व गर्दन की नसें व दायां कन्धा और दोनों हाथों और टाँगों में कमजोरी है। उसके बाद मरीज के ब्रेन का एमआरआई कराया गया। जिसमेंं पता चला कि मरीज के ब्रेन स्टेम में एक बड़ा ट्यूमर है, जिसने लगभग ब्रेन स्टेम का 80 प्रतिशत भाग प्रभावित किया हुआ है। यह खबर सुनकर मरीज के परिवार वाले टूट गए और बहुत दुखी थे। डॉ. डाबर ने बताया कि ब्रेन स्टेम दिमाग का बहुत ही महत्वपूर्ण व संवेदनशील अंग है, जो कि दिमाग की आधार स्तम्भ बनाता है और दिमाग को सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड से जोड़ता है। यह आँखों का मूवमेंट, कानों से सुनने की क्षमता, शरीर का संतुलन ओर चेहरे की मांसपेशियों का मूवमेंट व अहसास व निगलने की कार्यप्रणाली को संतुलित करता है । इसके अलावा यह हमारी चेतना और होश को भी संतुलित करता है, और श्वास प्रक्रिया, हृदय गति और रक्तचाप का भी संचरण व संचालन करता है।
स्पाइन एवं न्यूरोसर्जरी विभाग के निर्देशक द्वारा बताया गया कि ब्रेन स्टेम दिमाग का अति संवेदनशील अंग होने के कारण इसकी सर्जरी बहुत ही जटिल व खतरनाक हो सकती है और इसमें मरीज को पैरालाइसिस, कोमा में लंबे समय में वेंटीलेटर पर जाने की सम्भावना ही नहीं बल्कि ऑपरेशन के दौरान अचानक हृदयगति रुकने से अचानक मृत्यु का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सर्जरी दिल्ली एनसीआर में भी गिनती के कुछ डॉक्टर या हॉस्पिटलों में ही होती है। डॉ पंकज डावर इससे पहले विगत 12 वर्षों से दिल्ली एनसीआर में कार्यरत थे और 6 वर्षों से फरीदाबाद के एक निजी बड़े हॉस्पिटल में स्पाइन एवं न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे हैं। इस समय वह अपने परिवार और काशीपुर से अत्यंत लगाव के चलते वे हमेशा इस क्षेत्र में वापस आकर न्यूरोसर्जरी की सेवाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से यहां केबीआर हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । डॉ पंकज ने सबसे पहले मरीज के परिजनों को सर्जरी की सूक्षम्ता जटिलता और जोखिमों के बारे में विस्तार से बताया।
उसके बाद एनेस्थेटिस्ट डॉ. अनिल माझी व टीम से परामर्श कर ब्रेन स्टेम की सर्जरी को बहुत ही चुनौतीपूर्ण और मुश्किल व संभव मानते हुए मरीज की सर्जरी की ओर सर्जरी सफलतापूर्वक हो गयी और उसको सर्जरी के उपरांत वेंटीलेटर पर भी नहीं रखना पड़ा। निगलने की क्षमता असंतुलित होने के चलते मरीज की छाती में निमोनिया उत्पन्न हो रहा था जिसको पहले गर्दन में कृत्रिम रास्ता बनाकर काबू पाया जा सका ओर सर्जरी के उपरांत उसकी निगलने की क्षमता में सुधार आने के चलते वह कृत्रिम रास्ता भी बंद कर दिया गया। सर्जरी के उपरांत मरीज को न्यूरो आईसीयू में स्थान्तरित किया गया । हॉस्पिटल के निदेशक डॉ अर्मेन्द्र सिंह ने बताया की मरीज में सर्जरी के तुरंत बाद ही स्वास्थ्य लाभ दिखने लगा। ओर मरीज तीसरे ही दिन पैदल चलने फिरने लगा । इतने बड़े ऑपरेशन के बाद मरीज को चलता फिरता देख परिजन खुशी से रो पड़े । मरीज के परिजनों ने बताया कि डॉ पंकज डाबर भगवान की तरह उनकी जिंदगी में आये और उसके भाई को एक नयी जिंदगी प्रदान की है। हमने तो सारी उम्मीद ही छोड़ दी थी बहुत दुखी थे और टूट गए थे, पर डॉ पंकज ने उम्मीद कि किरण दिखाई और हमने रास्ता पकड़ लिया ओर मरीज पूरी तरह स्वस्थ है । हॉस्पिटल के वरिष्ठ निर्देशक और प्रसिद्ध बाल रोग विशषज्ञ डॉ. के. के. अग्रवाल ने बताया कि युवा डॉक्टर्स की टीम ने बहुत प्रशंसनीय और साहसिक कार्य किया है ।अब काशीपुर की जनता को बड़े शहर जाकर इलाज के लिए धक्के नहीं खाने पडेंगे ।
Deepali Sharma
सम्पादक
खबर प्रवाह
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