ख़बर प्रवाह (10 जून, 2023)
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की बानगी प्रदेश के युवा एवं तेजतर्रार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र चंपावत में उस वक्त देखने को मिली जब डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक महिला को अपनी जान के लाले पड़ गए। हुआ यूँ कि चंपावत जिले के निकटवर्ती ग्राम पंचायत ललुवापानी की रहने वाली ममता बिनवाल नामक एक महिला को बीती 4 जून को पैर में लगी चोट को दिखाने जिला अस्पताल पहुंची थी। जिसके बाद इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों ने घाव को अंदर से देखे बिना ही महिला के पैर में टांके लगाकर उसे घर भेज दिया। घर पहुंचने के बाद महिला के पैर में सूजन और दर्द बढ़ने लगा तो उसके परिजनों से 9 जून को दोबारा चंपावत के एक निजी अस्पताल में ले गए। जहां एक्स-रे के बाद पता चला कि महिला के पैर के अंदर एक बड़ा लकड़ी का टुकड़ा टूट गया है। जिसके बाद उसका निजी अस्पताल में ऑपरेशन करने के बाद लकड़ी के टुकड़े को बाहर निकाला गया। जिला अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों की लापरवाही से आक्रोशित छात्र संघ नेताओं एवं स्थानीय लोगों ने आज जिला अस्पताल में पहुंचकर प्रदर्शन कर सीएमएस और सीएमओ का घेराव किया। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री की विधानसभा में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ लापरवाह डॉक्टरों के द्वारा किये जा रहे खिलवाड़ को लेकर प्रदर्शन भी किया। छात्र नेताओ का कहना था कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों की इतनी बड़ी लापरवाही हो रही है जो बिना देखे ही आंखें बंद करके इलाज कर रहे हैं। उक्त महिला के पैर में 3 इंच लंबा लकड़ी का टुकड़ा घुसा होने के बाद भी डॉक्टरों ने बिना देखे बाहर से उसे टांके लगा कर सिल दिया। आक्रोशित लोगों ने कहा कि डॉक्टरों की लापरवाही से महिला का पैर खराब हो सकता था तथा उसकी जान भी जा सकती थी। आक्रोशित लोगों द्वारा लापरवाह डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए जिला अस्पताल में हंगामे की सूचना पर पुलिस व जिला प्रशासन सहित अन्य उच्च अधिकारी जिला चिकित्सालय पहुंच गए। छात्र नेताओं के इस उग्र आंदोलन को देखते हुए जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। जिसके बाद बड़ी मुश्किल से एसडीएम सदर रिंकू बिष्ट के समझाने और एसडीएम तथा सीएमओ के 1 हफ्ते के भीतर लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही करने के आश्वासन के बाद छात्र नेताओं ने आंदोलन समाप्त किया तथा लापरवाह डॉक्टरों पर कार्यवाही की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना है कि ऐसे डॉक्टरों पर अगर शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई तो वह फिर दोबारा से उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
Deepali Sharma
सम्पादक
खबर प्रवाह
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