May 20, 2024

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धर्मांतरण रोधी कानून पर धामी सरकार को न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी में बौद्ध धर्म के अनुयायी, देखें वीडियो।

ख़बर प्रवाह (17 नवम्बर, 2022)

उत्तराखंड प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा बीते रोज कैबिनेट की बैठक में धर्मांतरण रोधी कानून में जबरन धर्मांतरण के दोषी के लिए सजा के प्रावधान को 2 साल और बढ़ाकर 10 साल किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने का विरोध शुरू हो गया है। बीते रोज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह मंजूरी दी गयी। कानून के विरोध की शुरुआत कहीं और से नहीं बल्कि काशीपुर से हो गई है। काशीपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के द्वारा इस कानून को हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही गई।

आपको बता दें कि काशीपुर के रामनगर रोड स्थित ग्राम भोगपुर, प्रतापपुर स्थित डॉ. अंबेडकर पार्क में कुछ दिन पहले 300 लोगों के हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म के दीक्षा लेकर बौद्ध धर्म अपनाया था। काशीपुर में आयोजित कार्यक्रम में धम्म देशना और धम्म दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में 300 से अधिक हिन्दुओं ने गौतम बुद्ध की 22 प्रतिज्ञा लेकर बौद्ध धर्म अपना लिया था। इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तर-प्रदेश सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद ने शिरकत की थी। इस दौरान धर्म ग्रहण करने वाले लोगों ने इसे घर वापसी करार देते हुए भगवान गौतम बुद्ध के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया था।

प्रदेश की धामी सरकार द्वारा धर्मांतरण रोधी कानून के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद काशीपुर में आज बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने एक बैठक के माध्यम से चर्चा कर इस कानून को न्यायालय में चुनौती देने की बात कही। डॉ. अंबेडकर पार्क जन कल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रहास गौतम ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार सत्ता के नशे में चूर हो गई है। सरकार भारतीय संविधान का सीधा-सीधा उलंघन कर रही है। सरकार किसी भी तरह का कानून लेकर आती है तो हम उस कानून पर महान अधिवक्ताओं द्वारा विचार विमर्श करके उच्च न्यायालय में चुनौती देकर कानून काे खारिज कराने का काम करेंगे। इसके अलावा हम जन आंदोलन चलाकर इस कानून को खारिज कराने का काम करेंगे। क्योंकि, इस कानून के जरिए एससी, एसटी के जो लोग अपने घर में वापसी कर रहे हैं। सरकार उन्हें डराने का काम कर रही है। इसलिए सरकार के नियत में खोट जाहिर होता है, जोकि हम ऐसा कतई नहीं होने देंगे। यह समाज सरकार की तानाशाही कतई नहीं चलने देगा। वहीं काशीपुर निवासी अधिवक्ता राजेश कुमार गौतम सरकार एक लोग को जबरदस्ती जेल में डालेगी तो सैकड़ों अपनी इच्छा से जेल पहुंच जाएंगे, जिससे जेल में भी जगह नहीं बचेगी। प्रकृति बौद्ध धर्म पर टिकी हुई है।

उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा कि जब लोग अशिक्षित थे तो मान लिया गया था कि हनुमान जी सूरज को निगल गए थे। सूरज पर जाने के लिए कई साल लग जाएंगे और वहां जाते ही हर कोई राख बन जाता है तो हम कैसे मान लें कि वहां हनुमान जाकर सूरज को खा लिया होगा।

हम किसी धर्म की बुराई नहीं कर रहे हैं, लेकिन समाज में बीती पुरानी झूठी चीजों पर हम विश्वास नहीं करेंगे। बौद्ध धर्म भारत का धर्म है, हम सब अभी तक भूले भटके थे और अब अपने घर में वापस आ रहे हैं तो दिक्कत क्यों है। जब हमें रोटी सब्जी खानी है तो क्या जबरजस्ती मुझे बिरयानी, मछली और अंडा क्यों खिलाया जा रहा है।

काशीपुर निवासी कपिल ने कहा कि जबरन धर्मांतरण कराने वालों पर 10 की बजाय 20 साल की सजा का प्रावधान किया जाए, हमे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन जो लोग शपथ पत्र देकर अपनी इच्छा से बौद्ध धर्म अपनाते हैं तो उस पर सरकार क्यों हस्ताक्षेप कर रही है।