May 8, 2024

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अंतर आत्मा की सफाई का रास्ता सतगुरु ही बताते हैं, उन्ही के घाट पर स्नान करने से ही आत्म कल्याण होगा

पौष पूर्णिमा पर नदियों में स्नान का फायदा नहीं मिलता जब जानवरों को काट कर उनका खून नदियों में डाला जाता है

आत्मा को परमात्मा से मिला देने में सहायक चीजों को धर्म से जोड़कर उनकी सार्वजनिक स्वीकार्यता बनाने की बात समझाने वाले, तीज-त्यौहारों के पीछे के उद्देश्यों को समझाने वाले इस समय के पूरे सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने पौष पूर्णिमा के अवसर पर 17 जनवरी 2022 को उज्जैन आश्रम पर दिए सतसंग में बताया कि

  1. पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आज जो सूर्य की किरण विशेष रूप से गंगा में पडती है उस जल से स्नान करने से शरीर को स्वस्थ रखने में एक विशेष तत्व मिलता है।
  2. जानवरों को काटकर, उनको, उनके खून को नदियों में डाला जाएगा तो ऐसे स्नान का लाभ नहीं मिलेगा।
  3. प्रकृति की व्यवस्था से छेड़छाड़ करोगे, इनके नियम का उल्लंघन करोगे तो ऐसे स्नान से कोई फायदा होने वाला नहीं है।
  4. इस समय पर तो मानव धर्म रहा ही नहीं अब तो हिंसा- हत्या जानवरों की बलि चढ़ाना यही धर्म मान लिए हैं लोग।
  5. ये जो भी तीर्थ व्रत कर्म हैं, ये जीवात्मा को उसके घर सतलोक जाने के रास्ते में अटकाते हैं। जब सतसंग जल मिलता है तब जानकारी होती है कि अंतर आत्मा की धुलाई कैसे होगी, कौन करेगा।

ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाइए आगे इसकी भारी जरूरत पड़ेगी।

जीवन का समय पूरा हो जाने पर कहीं भी भागकर जाओ, मौत से बच नहीं सकते हो।

अपराध, शराब, कबाब और शबाब बंद नहीं हुआ तो तालाब व नदियों का पानी पीकर ही जीना पड़ेगा।

गर्भावस्था के दौरान परहेज न रखने से पेट में बच्चे दिव्यांग हो जाते हैं।

आत्मा को किसी भी सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देखा नहीं जा सकता है।