एंकर- दीपावली का पर्व नजदीक है। दीपावली के पर्व पर अन्य मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरो के कारोबार पर मिट्टी के दीए की बिक्री कम होने की वजह से रोटी का संकट गहरा गया है। दीपावली के त्यौहार को मुख्य रखते हुए मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगर इन दिनों परेशानी वाला जीवन जीने को मजबूर हैं। पहले जहां दीवाली पर्व आते ही इनके चेहरों पर रौनक आ जाती थी तो वहीं अब मिट्टी से बने समान कि बिक्री नाममात्र को रह जाने से इनका कारोबार पूरी तरह चौपट होने के कगार पर है।
वीओ – हमारे मुल्क में हिन्दू और मुस्लिम कारीगरों के हाथों से बनाए हुए दिए और मिट्टी के बर्तन जहां हर परिवारों के घर में दिवाली समेत और दिनों में भी रोशनी बिखरते रहें है तो वहीं अब बाज़ार में आधुनिक सामान आ जाने की बजह से इसकी मांग अब दम तोड गई है। काशीपुर के दिये बनाने वाले सत्तर साल के बुजुर्ग एवज हुसैन और उनकी पत्नी सगीरन ने बताया कि हमें अपने पुरखों से विरासत में यही काम मिला,दीवाली में हमारे हाथो से बने दीप और मिट्टी के बर्तन कभी देश के कई हिस्सो के साथ विदेशो तक जाते थे लेकिन आज इसकी मांग न होने की वजह से रोज़ी रोटी का संकट उभर आया है। बड़े बुजुर्ग के साथ ही छोटे छोटे मासूम बच्चो के हाथो से बनने और सँवरने वाले यह दीप और मिट्टी के बर्तनों की जगह भले ही आज इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और आधुनिक तकनीक से बने सामानों ने ले ली हो पर सड़कों पर अपना बाज़ार सजाने वाले इन कारीगरों को यह आस है कि आज नहीं तो कल फिर जमाना इसी पर लौटेगा।
इस दौरान युवा कारीगर आदेश प्रजापति ने कहा कि जितनी मेहनत से मिट्टी के समान को तैयार किया जाता है उतनी आज इस काम पर मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है,उनका यह भी कहना है कि कहीं आने वाली पीढ़ी इसको भुला न दे इसलिए भारत सरकार को चाहिए कि इसको जिंदा रखने के लिए कोई स्कीम मजबूती से चलाए जिससे इसी पर निर्भर करीगर अपने परिवार का घर चला सके।
बाइट- एवज हुसैन(मिट्टी कारीगर)टोपी वाले
बाइट- आदेश प्रजापति (मिट्टी कारीगर)लाल टी शर्ट में
बाइट महिला – सगीरन (मिट्टी कारीगर) को
Deepali Sharma
सम्पादक
खबर प्रवाह
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